Saturday 10 December 2016

कौनोतोरी (सफ़ेद सारस) प्रयोग क्या है

जापान ने शुक्रवार को कौनोतोरी नाम का स्पेस कैप्सूल अंतरिक्ष में भेजा जिसका काम अंतरिक्ष कचरे को साफ करना है जो पृथ्वी के चक्कर लगा रहें  है |
अंतरिक्ष कचरा या स्पेस जंक छोटे बड़े अंतरिक्ष यान उपग्रह  या किसी अंतरिक्ष मिशन के अवसिस्ट  है जो अब कार्य नहीं कर रहे और अंतरिक्ष में तेजी से घूम रहे है | ये  वर्त्तमान अंतरिक्ष यानो के लिए भारी खतरा बने हुए है ,इसलिए इस कचरे को साफ करना बेहद जरुरी हो गया है इसी दिशा में जापान ने एक कदम उठाया है ,इस लिए  उसने कौनोतोरी नाम का कप्सुल अंतरिक्ष में भेजा है ताकि इस दिशा में प्रयोग किया जा सके |
इसके लिए कैप्सूल सात सौ मीटर मेटैलिक लाइन का प्रयोग करेगा जो की एक विद्युतिये तार का काम करेगा यह अल्मुनियम और स्टेनलेस स्टील से बना हुआ जाल है | इसकी मदद से  कचरे की गति को कम करने का प्रयास किया जायेगा ताकि वह अंततः पृथ्वी के वायुमंडल में घुसकर नष्ट हो जाये |

#विज्ञानं 



Saturday 17 September 2016

फिक्र न कर

कहते है की असफलता ही सफलता की कुंजी है ,ये बात तो बहुत छोटी सी है लेकिन सफलता का राज इसमें छिपा है | कोई भी सब कुछ सीख कर पैदा नहीं होता ,सब यही सीखते है इसी  दुनिया में , यहाँ आदमी सिखने के लिए ही पैदा होता है | हाँ ये बात अलग है की कोई बड़ा जल्दी सीख लेता है और कोई थोड़े समय में ,और हम सिखने के क्रम में कितनी बार हारते है ,असफल होते है और अंततः सीख लेते है समझिए सफल होते है | शायद यही बात प्रतियोगिता , परीक्षा के लिए भी लागु होता है  हम हमेशा सीखते है हारकर भी , 
इसलिए   कर्म किये जा ,फल की तू फिक्र न कर ||


सिने में तूफान  छुपा है ,
आँखों में आसमान  है |
दुनिया हो मेरी  मुठी में 
ऐसे ही अरमान है ||

कस्ती लगेगी किनारे 
ऐ मन तू फिक्र न कर |
आगे देख चलता रह ,
रुकने की तू जिक्र न कर ||

जिन्दा है तू तो संघर्ष कर ,
मंजिल ही तेरा सुकून है |
तू जिन्दा है ,इस धरती पर ,
जब तक तुझमे जूनून है ||

 -----विहान

जिद

एक सूनापन सा है आँखों में ,
दिल में एक तन्हाई सी है |
कुछ कचोटता है सिने में ,
दिल की खुद से बेवफाई सी है |


जीवन की राहें  रूकती नहीं ,
और जीनें की जज्बा है की झुकती नहीं |
लौ सुलगती  रही है उठने  को ऊपर,
पर  झुकाने को निचे ,बारिश है की रूकती नहीं ||



अब सोच की छतरियों से काम नहीं चलता ,
हिम्मत से कम लेनी पड़ेगी ||
चोट भले ही थोड़ी  खानी पड़े ,
पर  राह - ए मंजिल बनानी पड़ेगी ||


---विहान