एक सूनापन सा है आँखों में ,
दिल में एक तन्हाई सी है |
कुछ कचोटता है सिने में ,
दिल की खुद से बेवफाई सी है |
जीवन की राहें रूकती नहीं ,
और जीनें की जज्बा है की झुकती नहीं |
लौ सुलगती रही है उठने को ऊपर,
पर झुकाने को निचे ,बारिश है की रूकती नहीं ||
चोट भले ही थोड़ी खानी पड़े ,
पर राह - ए मंजिल बनानी पड़ेगी ||
---विहान
दिल में एक तन्हाई सी है |
कुछ कचोटता है सिने में ,
दिल की खुद से बेवफाई सी है |
जीवन की राहें रूकती नहीं ,
और जीनें की जज्बा है की झुकती नहीं |
लौ सुलगती रही है उठने को ऊपर,
पर झुकाने को निचे ,बारिश है की रूकती नहीं ||
अब सोच की छतरियों से काम नहीं चलता ,
हिम्मत से कम लेनी पड़ेगी ||चोट भले ही थोड़ी खानी पड़े ,
पर राह - ए मंजिल बनानी पड़ेगी ||
---विहान
No comments:
Post a Comment