Wednesday, 31 July 2013

रामधारी सिंह दिनकर

  करघा -रामधारी सिंह दिनकर

इस कविता में राष्ट्र कवि ने जिंदगी के बारे में क्या गहराई से लिखा है ,

कलम से जोश भर देने वाले राष्ट्र कवि को उनकी रचनाओ को नमन 

करघा -रामधारी सिंह दिनकर

हर ज़िन्दगी कहीं न कहीं,
दूसरी ज़िन्दगी से टकराती है।
हर ज़िन्दगी किसी न किसी,
ज़िन्दगी से मिल कर एक हो जाती है।

ज़िन्दगी ज़िन्दगी से
इतनी जगहों पर मिलती है,
कि हम कुछ समझ नहीं पाते
और कह बैठते हैं यह भारी झमेला है।
संसार संसार नहीं,
बेवकूफ़ियों का मेला है।

हर ज़िन्दगी एक सूत है
और दुनिया उलझे सूतों का जाल है।
इस उलझन का सुलझाना
हमारे लिये मुहाल है।

मगर जो बुनकर करघे पर बैठा है,
वह हर सूत की किस्मत को
पहचानता है।
सूत के टेढ़े या सीधे चलने का
क्या रहस्य है,
बुनकर इसे खूब जानता है।

Monday, 29 July 2013

हरा सोना ,गरीबो की लकड़ी

बांस

आपने हरा सोना सुना ही होगा |जी हा बांस हरा सोना है  और यह गरीबो का लकड़ी है ,उनका घर दरवाजा  खिडकी सभी कुछ बांस का  ही बनाता है ,चलिए आज इस पर कुछ बात करते है

बांस पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाले पौधों में से एक है यह २४ घंटे में १०० से मी तक बढ़ने की छमता रखता है यानि एक दिन में ३९ इंच
इसे हम न जाने कितने तरीके से प्रयोग करते है, जहाँ भी कोई स्तंभ की जरुरत होती है  तो हम वहाँ बांस को प्रयोग में लाते है,हमारे संस्कृति में इसका बड़ा योगदान है ,हनुमान जी का ध्वज लटकाने से लेकर लाठी बनाने तक इसका बड़ा प्रयोग है
बांस एक प्रकार का घास है ,अगर आप इसे ऊपर से काट लेते है ,यह पुनः बचे हुए जड से निकल आता है और बढ़ना चालू कर देता है ,इसका जड खराब नहीं होता ,उससे पुनः बांस निकल आता  है जैसा और पौधों  में नहीं होता है|
बांस के इतने गुण है की पूछो मत लेकिन ऐसा लगता है कि इसके गुणों का पूर्ण उपयोग नहीं होता |
इसका प्रयोग कहाँ कहाँ और हो सकता है ,जो अभी नहीं होता है कुछ पहलु है इसके जिसे पहले प्रयोग में लाया जाता था ,लेकिन समय के साथ वो पहलु अनछुए हो गए और अब  बांस  बहुत कम देखने को मिलते है |
१.नदियों के बाढ़ से आस पास के गावो को बचाने के लिए नदी के किनारों पर बांध बना दिए जाते है ,ताकि अगर नदी का जल स्तर बढे तो वो नदी छेत्र में ही रहे, जो  नदी छेत्र होता है वो लगभग पुरे वर्ष उन्हीं पड़ा रहता है ,क्योकि वहाँ खेती करना या रहना मुश्किल होता है ,इस भूमि पर और पेड भी उग सकते है लेकिन वो उतने कारगर नहीं हो सकते ,क्योकि उन्हें वयस्क होने में काफी समय लगता है ,अगर इस भूमि पर बांस कि खेती कि जाये ,या इसे उ समझ ले कि  नदी के किनारे वाले क्षेत्र में अगर बांस कि पट्टी बना दे तो नदिया एक तरह से पर्यावरण के रखवाले हो जाएँगे पछियो के रहने का बसेरा होगा ,हरियाली आएगी और बांध जल्दी नहीं टूटेगा और टुटा भी तो उतना कटाव नहीं होगा जितना अभी होता है ,और उतनी तेजी से पानी   गावो कि तरफ आगे नहीं बढ़ेगा जितनी तेजी से अभी बढ़ता है यानि लोग सुरक्षित जगह पर जा सकते है |
लोग लालची है इसलिए लोग उसे काटेंगे  ,कुछ बांस कोई काट  भी लेता है तो पुनः वहाँ नया बांस उग आयेगा जैसा कि होता है और जैसे अभी नदी घटिया बनस्पति बिहीन हो गयी है उससे बचा जा सकेगा |
यह बहुत मजबूत घास है और आसानी से इसका जड जमीनसे अलग नहीं किया जा सकता,तो इससे मिटटी का कटाव भी कम होता है ,इसके रोपण से नदियों के कटाव को रोका जा सकता है |
पुरे भारत में हजारों वर्ग किलोमीटर भूमि नदियों से प्रभावित है वहाँ कुछ नहीं होता ,कंही कही केले कि खेती होती है ,अगर इस भूमि पर बांस का रोपण करे तो पुरे देश में हरियाली ली बृधि होगी ||

<संसाधन का पुनः निर्माण >
बांस को हरा सोना इसलिए कहते है क्योकि यह काफी काम का है,यह गरीबो कि लकड़ी है|यह बहुत सारे कारखानों में कच्चे माल कि तरह उपयोग होता है ,इसी तरह बेकार पड़ी जमीन पर उगाकर इस संसाधन का पुनः निर्माण कर सकते है |

<वनों कि सुरक्षा >
पहले के राजा अपने राज्य के सीमा पर कट बासी लगाते थे (कट बासी बांस कि ऐसी प्रजाति है जो काफी घनी होती है और उसके आर पार जाना आदमी के बस का नहीं है)| वनों कि सुरक्षा और वन्य जीवो कि सुरक्षा भी बांस से कि जा सकती है जैसे पहले राजा अपनी प्रजा कि करते थे | कट बासी  बांस  कि पट्टी जंगल के चारो ओर बना दिया जाये तो तस्करों या बाहर के लोगो का अंदर जाना मुश्किल होगा ,और अंदर के प्राणी भी अंदर ही रहेंगे |बहार आकर गावो के लिए मौत का सबब  नहीं बनेंगे ||

हरियाली को बढ़ावा
बांस हरियाली को काफी बढाता है इसे सडको के दोनों ओर लगाया जा सकता है इसके चलते लोगो को काफी ठंढक मिलेगी ,शुद्ध हवा मिलेगी और धुल कण कि कमी होगी |

तो चलिए अपना हाथ भी आगे बढ़ाते है ,कुछ करने के लिए ,और अपने पर्यावरण को सुन्दर बनाने के लिए |अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए एक संसाधन का निर्माण करते है ,चलिए अपने हाथो से नदी के किनारे कुछ बांस लगाते  है ||


Monday, 22 July 2013

सबसे पहले

कुछ जानने कि तीव्र  अभिलाषा ही जिज्ञासा है
,मनुष्य और जीवो से अलग है क्योंकि वह जिज्ञासु है ,उसके अंदर जिज्ञासा है किसी के लिए ,वह जानना चाहता है ,मनुष्य ने जो भी बनाये है ये  जो भी जाना है वह मनुष्य के जिज्ञासा के वजह से ही हुआ है
जिज्ञासा आदमी को कुछ अलग बनाता है जो मनुष्य जिज्ञासु है वो ही कुछ करता है
इसलिए हमें चाहिए कि हम भी जानने कि अभिलाषा रखे  और इस दुनिया को सुन्दर बनाने कि कोशिश करे ,अपने आस पास को सुन्दर बनाये ,अपने आस पास को जाने ||अपने  अस्तित्व को पहचाने  और आगे बढ़ने कि कोशिश करे   उन्हें भी आगे बढ़ने कि प्रेरणा दे जो अभी पीछे जाने के रस्ते पे है |
तो चलिए चलते है अपने आस पास को जानते है और अपने मस्तिस्क  को और विस्तृत बनाते है और आगे बढ़ने की शुरुवात करते है


जीने के लिए ,जिंदगी के लिए ,आगे बढ़ने के लिए ,चाँद पे पहुचने के लिए  चलिए जिज्ञासु बनते है